नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की गई एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) की अधिकांश शर्ते निर्धारित कर दी गई हैं। सरकार ने कर्मचारियों के लिए एनपीएस और यूपीएस दोनों विकल्प खुले रखे हैं। कर्मचारी दोनों में से कोई एक पेंशन योजना चुन सकते हैं। इसके लिए सरकार 31 मार्च 2024 से पहले एक एकीकृत पोर्टल शुरू करेगी, जिसके माध्यम से चयन किया जा सकेगा।
पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) एनपीएस के साथ यूपीएस का भी संचालन करेगा और इसके लिए जल्द दिशा-निर्देश जारी करेगा। अधिसूचना के मुताबिक, जो कर्मचारी 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए हैं और जिन्होंने एनपीएस को चुना है, केवल उन्हें यूपीएस से जुड़ने का मौका मिलेगा। यह स्पष्ट किया गया है कि
सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए टॉप-अप प्रक्रिया
इसके अलावा एनपीएस अपनाने वाले जो कर्मचारी अब सेवानिवृत्ति हो चुके हैं, वे भी इसे अपना सकते हैं। ऐसे कर्मचारियों को एनपीएस फंड की राशि का समायोजन करने के बाद पेंशन मिलेगी। अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआरडीए ऐसे कर्मियों के लिए टॉप-अप राशि उपलब्ध कराने के लिए नई व्यवस्था लागू करेगा।
वीआरएस लेने वालों को करना होगा इंतजार
मौजूदा कर्मी और भविष्य के कर्मचारी, दोनों के पास यह विकल्प होगा कि वे एनपीएस के तहत यूपीएस चुनें। या बिना यूपीएस के एनपीएस को जारी रखें। एक बार विकल्प चुनने के बाद
जो कर्मचारी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले चुके हैं, वे भी यूपीएस को अपना सकते हैं लेकिन उनके लिए 25 साल की सेवा का प्रावधान लागू होगा। इसका मतलब यह है कि उन्हें 60 साल की उम्र तक पूरी होने का इंतजार करना होगा।
उसमें बदलाव नहीं किया जा सकेगा।
ये फायदे नहीं मिलेंगे : अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि जो कर्मचारी यूपीएस विकल्प चुनेंगे, वे किसी अन्य नीतिगत रियायत,
ये शर्तें भी लागू
यूपीएस के जरिए पेंशन 1 पाने के लिए कम से कम 10 साल की सेवा होना जरूरी है।
2 कर्मचारियों को एनपीएस की तर्ज पर मूल वेतन से 10% का अंशदान करना होगा।
सरकार 18.5 प्रतिशत 3 योगदान करेगी। यानी कुल योगदान 28.5% होगा।
इस योजना में प्रति माह 4 10,000 रुपये की न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन दी जाएगी।
5 इस्तीफा देने वाले, अथवा बर्खास्त कर्मियों को लाभ नहीं मिलेगा। इसका
नीतिगत बदलाव, आर्थिक लाभ या बाद में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार की समानता का दावा करने के पात्र नहीं होंगे और न ही इसका दावा कर सकेंगे।